गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

प्यार हुआ, कई-कई बार हुआ

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

मैनें सुना है कि ज्यादातर लड़कियों के प्यार की शुरुआत सिर्फ इस बात से होती है क्योंकि वो जीतना चाहती..जीतना लड़कों से...शायद लड़कों को अपने सामने गिड़गिड़ाता देख उन्हें खुशी होती है कि वो समाज की अगुवाई करने वाले तथाकथित पुरुष वर्ग को झुकाने में कामयाब रही....ये सिक्के का एक पहलू हो सकता है लेकिन क्या इसका दूसरा पहलू भी है......जरूर.....इसके दूसरे पहलू में प्यार को उपासना, पूजा जैसे शब्दों से अलंकृत किया जाता है और कुछ हद तक सही भी होता है....कुछ हद तक इसलिए कि मैं समझता हूं कि लड़कियां ही इसमें अक्सर ईमानदार होती हैं....जहां तक लड़कों के प्यार की बात है तो वो हमेशा दिमाग से होता है दिल से नहीं..आप कह सकते हैं कि वो प्यार में भी पूरी तरह प्रोफेशनल होते हैं......अब 21वीं सदी की लड़कियां भी लड़कों के प्यार को अमल में ला रही हैं...
प्यार की चर्चा इसलिए कि हमें भी प्यार हुआ और कई-कई बार हुआ...ये अलग बात है कि मैं कभी इस मामले में सफल नहीं रहा...क्यों पता नहीं लेकिन जो बातें मैंने ऊपर लिखी उसका पता मुझे जरूर चल गया....

3 टिप्‍पणियां:

Kumar Kaustubha ने कहा…

Afsos ye ki ladkiyaan pyar me bar-bar haar jati hain, ant me vijeta to ladke hi hote hain..jo sabkuchh pa lete hain!!!!!!!

बेनामी ने कहा…

pyaar aur chaat ko aapne ek tarazu men tolkar rakh diya hai. apni chaahat ko pyaar ka ehsah karne ki bhul kar rahen hain aap. kyounki pyaar in sabse juda hota hai bina kisi saririk akarshan aur bina kisi tamjham ke niswarth bhawana se dil ke andar ki anubhuti hoti hai pyaar.

http://parmarthsuman.blogspot.com

बेनामी ने कहा…

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