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गुरुवार, 3 अप्रैल 2008
खेल की राजनीति या फिर राजनीति का खेल
यूं तो शोएब पाक में खेल की गंदी राजनीति का शिकार हुए हैं लेकिन ये बात भी उतना ही सच है जितना कि वो बदमिजाज भी कम नहीं ......ये तो हुई शोएब और उन पर हुई कारर्वाई की बात......लेकिन अगर इस घटना से जुड़े अन्य पहलुओं पर विचार करेंगे तो पाएंगे कि शोएब सिर्फ पाकिस्तान में चल रही राजनीति की ही नहीं एक तरह से खेल में हो रही गुटबाजी औऱ अन्तरराष्ट्रीय राजनीति के बीच फंस गए.... कैसे? अब देखिए पाक ने जैसे ही पाबंदी लगाई वैसे ही इंडियन प्रीमियर लीग ने भी उनसे नाता तोड़ने की मंशा जाहिर कर दी....हालांकि शाहरुख, जिनकी टीम के लिए शोएब खलेने वाले थे, ने कहा है कि शोएब के न होने से उनकी टीम प्रभावित होगी और वो मीटिंग कर रहे हैं.....पर इन सबके पीछे की घटनाओं पर विचार कीजिए आखिर पाक में पाबंदी लगने पर आईपीएल से शोएब को हटाने का कारण क्या हो सकता है....जाहिर है अगर शोएब को आईपीएल में खेलने दिया गया तो पाक बीसीसीआई से नाराज हो सकता है...हो सकता है इस नाराजगी में वो आईपीएल का बहिष्कार कर दे या फिर आईसीएल के खिलाड़ियों को टीम में जगह दे दे......जो हरगिज बीसीसीआई को गंवारा नहीं होगा.......अगर पाक ने ऐसा किया तो आईसीएल कुछ हद तक आईपीएल को चुनौती दे सकता है या यूं कह सकते हैं कि खेल राजनीति का परिदृश्य कुछ हद तक बदल सकता है जिससे आईसीएल को फायदा और आईपीएल को हानि पहुंच सकती है..... बोर्ड अध्यक्ष डालमिया ये हरगिज नहीं चाहेंगे कि आईपीएल के लिए कोई चुनौती बने....बोर्ड अध्यक्ष ही क्यों विश्व का कोई भी बोर्ड ये नहीं चाहेगा....क्योंकि उनके खिलाड़ियों के हित आईपीएल से जुड़े हैं....इस तरह आईपीएल प्रशासन पर ये भारी दबाव है कि शोएब किसी भी हालत में आईपीएल टीम की ओर से गेंद न फेंक सकें.....खैर देखते हैं खेल की राजनीति या फिर राजनीति के इस खेल में आगे क्या होता है.....
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